Sunday, August 14, 2022

47 हूँ मैं 15 को 75 का हो जाऊंगा दिन भर की देशभक्ति.........फिर तारीखों में खो जाऊंगा


 

47 हूँ मैं 15 को 75 का हो जाऊंगा

दिन भर की देशभक्ति, फिर तारीखों में खो जाऊंगा

बंटवारे का कलंक लिए मैं फिर सो जाऊंगा

कौन-किससे आज़ाद हुआ, क्या कभी खुद से पूछ पाऊंगा ?

47 हूँ मैं, 15 को 75 का हो जाऊंगा


विद्या को; लक्ष्मी के आधीन देखता हूँ

खुद से ज्यादा' कलम के व्यापार को स्वाधीन देखता हूँ

बिक रहे हर चौराहे पर सोने की पुस्तक देखता हूँ

विद्यार्थियों में विद्या कम विलास के दस्तक देखता हूँ

न जाने कब? फिर टैगोर जैसे गुरु, एकलव्य जैसे शिष्य देख पाऊंगा

47 हूँ मैं, 15 को 75 का हो जाऊंगा


बीमारी से ज्यादा, इलाज़ के खर्च से डर जाता हूँ

अक्सर स्वस्थ हो जाने पर भी कर्ज़ से मर जाता हूँ

हर एक दवा की गोली में सोना नज़र आता है

खाऊँ तो लेनदार, न खाऊं तो मुर्दा नज़र आता है

और कब गरीबो को शिक्षा-स्वास्थ का हक दे पाऊंगा

47 हूँ मैं, 15 को 75 का हो जाऊंगा


अब भी मीलों, घड़े भर पानी को तरसते देखा है

कभी दो रोटी दो वक्त की, तो कभी भूखे पलते देखा है

कभी चिलचिलाती धूप की किरणें, तो कभी बारिश की बूंदे टपकते देखा है

जाने कबतक उनको रोटी, कपड़ा, मकान दे पाऊंगा

 47 हूँ मैं 15 को 75 का हो जाऊंगा


संसद हो या विधान सभा ,कबतक इनसे यह खंड चलाऊंगा ?

नागरिको को कब उनका फर्ज याद दिलाऊंगा

क्या तुम भ्रष्ठ नही? किस किस से पूछ पाऊंगा

मैं तो खंड खंड हुआ तुम्हारे लिए ही,

और कितने सालों तक तुम सबको समझाऊंगा

47 हूँ मैं 15 को 75 का हो जाऊंगा 


47 हूँ मैं 15 को 75 का हो जाऊंगा दिन भर की देशभक्ति .....फिर तारीखों में खो जाऊंगा